ओ इज्यु मेरि! कस अंधेर है गो

ओ इज्यु मेरि! कस अंधेर है गो
जाड़ बठी टुक तलक
संत्री बठी, प्रधानमंत्री तलक
सबै झुट्ठै – झूट बोलनी
जत्तू है सकें, तत्तुक बोलनी
साच्ची बोलना में फटकार मिलनी
झुट्टी बोलानाकि पुरस्कार मिलनी
कस देस है गो, कस समय ऐ गो
ओ इज्यु मेरि! कस अंधेर है गो

शिक्षित कूनी जैसि चोरि करनि ऊनी
नि करि सकि जबत उई अनपढ़ कूनी
स्वाभिमान न आत्म-सम्मान राखनी
दुई डबल खातिर सब बेचि खानी
न संस्कार न संस्कृतिक मोल राखनी
नांगै रूनी, सबकै नांगै देखनी
कस सब्यता कस समाज है गो
ओ इज्यु मेरि! कस अंधेर है गो

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